न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नोएडा
Published by: जयदेव सिंह
Updated Fri, 29 Apr 2022 10:55 AM IST
सार
Petrol Diesel Tax Collection: केंद्र सरकार ने पिछले साल तीन नवंबर को उत्पाद शुल्क घटाने का एलान किया। सरकार ने पेट्रोल पर 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये उत्पाद शुल्क घटाया। केंद्र के एलान के बाद 20 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों में वैट कम किया गया था।
ज्यादातर राज्यों में पेट्रोल-डीजल की कीमत नवंबर जितनी हुई।
– फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा है। प्रधानमंत्री ने बुधवार को मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में कहा कि पिछले साल नवंबर में केंद्र ने उत्पाद शुल्क में कटौती की थी और राज्य सरकारों से भी वैट कम करने का आग्रह किया था। लेकिन कई राज्यों ने इस पर ध्यान नहीं दिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे जनता के साथ अन्याय बताया।
आइये जानते हैं नवंबर में केंद्र सरकार के उत्पाद शुल्क कम करने के बाद किन राज्यों ने वैट में कटौती की? जिन राज्यों ने वैट में कटौती की थी वहां इस वक्त पेट्रोल-डीजल की कीमतें क्या हैं? जिन राज्यों ने वैट कम नहीं किया वहां पेट्रोल की कीमत कितनी है? जिन राज्यों का प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधिन में जिक्र किया वहां कितनी हैं कीमतें हैं? क्या राज्य सरकारों द्वारा लिया जाने वाला टैक्स केंद्र के उत्पाद शुल्क से ज्यादा है?
पेट्रोल-डीजल से हर साल सरकारों को कितनी कमाई होती है?
पेट्रोल और डीजल से सरकारों की कमाई हर साल बढ़ रही है। चाहे केंद्र हो या राज्यों की सरकार पिछले सात साल में दोनों की आय में भारी इजाफा हुआ है। सभी राज्य सरकारों द्वारा लिए जाने वाले वैट और बिक्री कर से होने वाली कुल कमाई केंद्र की एक्साइज ड्यूटी से होने कमाई से इस वक्त करीब 28 फीसदी कम है।
साल |
2014-15 |
2015-16 |
2016-17 |
2017-18 |
2018-19 |
2019-20 |
2020-21 |
2021-22 |
केंद्र द्वारा लगाई गई कुल एक्साइज ड्यूटी |
99,068 |
178,477 |
242,691 |
229,716 |
214,369 |
223,057 |
372,970 |
262,976 |
राज्यों द्वारा लिया गया कुल वैट/बिक्री कर |
137157 |
142807 |
166414 |
185850 |
201265 |
200493 |
202937 |
189125 |
सोर्स: PPAC, 2021-22 के आंकड़े शुरुआती नौ महीने के हैं। सभी राशि करोड़ रुपये में है।
केंद्र सरकार के उत्पाद शुल्क कम करने के बाद किन राज्यों ने वैट में कटौती की?
केंद्र सरकार ने पिछले साल तीन नवंबर को उत्पाद शुल्क घटाने का एलान किया। सरकार ने पेट्रोल पर 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये उत्पाद शुल्क घटाया। केंद्र के एलान के बाद 20 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों में वैट कम किया गया था। इनमें सभी भाजपा शासित राज्य शामिल थे। जिन राज्यों में वैट कम किया गया उनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, ओडिशा, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड, गोवा, असम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, त्रिपुरा, मणिपुर, नगालैंड, मिजोरम शामिल थे। लद्दाख, चंडीगढ़, पुड्डुचेरी, दादर नगर हवेली, दमन एवं दीव, जम्मू कश्मीर जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में भी पेट्रोल-डीजल के दाम कम हुए थे।
क्या किसी गैर भाजपा शासित राज्य ने भी कम की थी कीमतें?
भाजपा शासित राज्यों के साथ ही कुछ गैर भाजपा शासित राज्यों ने भी नवंबर-दिसंबर में पेट्रोल डीजल पर कर कम के दाम घटाए थे। पंजाब में उस वक्त की कांग्रेस सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम कम किए थे। उस वक्त की चरणजीत सिंह चन्नी सरकार ने प्रति लीटर पेट्रोल पर 10 और डीजल पर 5 रुपये घटाए थे। इसी तरह ओडिशा में भी बीजद की नवीन पटनायक सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर तीन रुपये वैट कम किया था।
राजस्थान सरकार ने 16 नवंबर को पेट्रोल के दाम में चार रुपये और डीजल के दाम में 5 रुपये की कमी की। पंजाब और राजस्थान के बाद एक और कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ में भी 22 नवंबर 2021 को पेट्रोल पर एक फीसदी और डीजल पर 2 फीसदी वैट कम कर दिया गया। इस फैसले के बाद राज्य में पेट्रोल 90 पैसे और डीजल 1.45 रुपये प्रति लीटर सस्ता हुआ। करीब एक महीने बाद राजधानी दिल्ली में भी दिसंबर में वैट कम कर दिया गया। पेट्रोल पर लगने वाला 30 फीसदी वैट घटकार 19.4 फीसदी कर दिया गया।
जिन राज्यों ने वैट में कटौती की थी वहां इस वक्त पेट्रोल-डीजल की कीमतें क्या हैं?
केंद्र सरकार ने पिछले साल बढ़ती कीमतों के बीच पेट्रोल-डीजल से एक्साइज ड्यूटी घटाई थी। तीन साल में पहली बार ऐसा हुआ। नवंबर में मिली राहत के बाद 137 दिन तक पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़े। 3 नवंबर को हुई कमी के बाद 22 मार्च से एक बार फिर कीमतें बढ़ने लगीं। महज 16 दिन में 14 बार कीमतों में इजाफा हुआ और सभी राज्यों में दाम एक बार फिर नवंबर में सरकारी राहत मिलने के पहले के स्तर के करीब पहुंच चुके हैं। वहीं, जिन राज्यों ने वैट में कटौती नहीं की वहां, कीमतें नवंबर के स्तर से पांच से छह रुपये ज्यादा हो चुकी हैं।
किन राज्यों में कम नहीं हुआ वैट?
प्रधानमंत्री ने पेट्रोल डीजल के ज्यादा दाम होने को लेकर कई गैर भाजपा शासित राज्यों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, झारखंड, तमिलनाडु और केरल ने किसी-न-किसी कारण से केंद्र सरकार की अपील नहीं मानी, इन राज्यों के नागरिकों पर बोझ पड़ता रहा। प्रधानमंत्री ने पेट्रोल डीजल के ज्यादा दाम होने को लेकर कई गैर भाजपा शासित राज्यों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, झारखंड, तमिलनाडु और केरल ने किसी-न-किसी कारण से केंद्र सरकार की अपील नहीं मानी, इन राज्यों के नागरिकों पर बोझ पड़ता रहा। मोदी ने उदाहरण दिया, मुंबई में 120 रुपये लीटर पेट्रोल है, जबकि पड़ोस के केंद्र शासित प्रदेश दमन दीव में 102 रुपये है। तमिलनाडु में 111 तो जयपुर में 118 रुपये लीटर है।
जिन राज्यों को प्रधानमंत्री मोदी ने जिक्र किया वहां कितनी हैं कीमतें?
शहर (राज्य) |
2 नवंबर 2021 को कीमत |
27 अप्रैल 2022 को कीमत |
मुंबई (महाराष्ट्र) |
115.83 |
120.5 |
विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) |
115.13 |
119.98 |
करीमनगर (तेलंगाना) |
114.66 |
119.65 |
जयपुर (राजस्थान) |
117.43 |
118.01 |
त्रिवेंद्रम (केरल) |
112.41 |
117.17 |
कोलकाता (पश्चिम बंगाल) |
110.47 |
115.1 |
चेन्नई (तमिलनाडु) |
106.65 |
110.83 |
रांची (झारखंड) |
104.17 |
108.69 |
जिन राज्यों में भाजपा सरकार वहां कितनी बदली कीमतें?
शहर (राज्य) |
2 नवंबर 2021 को कीमत |
27 अप्रैल 2022 को कीमत |
भोपाल(मध्य प्रदेश) |
118.81 |
118.12 |
पटना (बिहार) |
113.76 |
116.21 |
गंगटोक (सिक्किम) |
110.6 |
111.40 |
बेंगलुरु (कर्नाटक) |
113.91 |
111.07 |
इम्फाल (मणिपुर) |
111.41 |
110.26 |
कोहिमा (नगालैंड) |
109.45 |
108.55 |
अगरतला (त्रिपुरा) |
109.97 |
108.29 |
पणजी (गोवा) |
107.78 |
106.43 |
अंबाला (हरियाणा) |
106.95 |
106.13 |
गुवाहाटी (असम) |
106.07 |
105.64 |
शिमाल (हिमाचल प्रदेश) |
107.47 |
105.58 |
लखनऊ (उत्तर प्रदेश) |
106.94 |
105.23 |
अहमदाबाद (गुजरात) |
106.63 |
105.06 |
आइजॉल (मिजोरम) |
107.09 |
104.17 |
देहरादून (उत्तराखंड) |
106.03 |
103.71 |
इटानगर (अरुणाचल प्रदेश) |
102.08 |
101.59 |
क्या राज्य सरकारों द्वारा लिया जाने वाला टैक्स केंद्र से उत्पाद शुल्क से ज्यादा है?
केंद्र और राज्यों की सरकारों के लिए उत्पाद शुल्क और वैट राजस्व का अहम स्रोत है। यही वजह है कि सरकारें इसे कम करने से कतराती रहती हैं। केंद्र सरकार के कुल राजस्व का करीब 20 फीसदी हिस्सा पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी का होता है। वहीं, राज्यों की बात करें तो उनकी कमाई का 25 से 35 फीसदी तक पेट्रोल-डीजल और शराब पर लगने वाले कर से आता है। सिर्फ दिल्ली की बात करें तो केंद्र और राज्य मिलाकर पेट्रोल पर करीब 43 फीसदी और डीजल पर करीब 37 फीसदी कर लेते हैं। दिल्ली में 16 अप्रैल के दाम के मुताबिक एक पेट्रोल पर 27.90 एक्साइज ड्यूटी थी। वहीं, राज्य सरकार को हर लीटर पर 17.13 रुपये वैट के रूप में मिल रहे थे।